इन्साफ क़त्ल हो गया मुंसिफ के हाथ से
कानून मिट के रह गया मुहाफिज़ के हाथ से
वो क़त्ल करके लोगों का साफ़ बच गया
इंसानियत का नाम मिटा उसके हाथ से
सब बे गुनाह लोग थे जो क़त्ल हो गए
मासूम बच्चे क़त्ल हुए उसके हाथ से
बूढे - जवान लोग सभी मारे गए थे
इज्ज़त भी न थी यार उस के हाथ से
अच्छे हुक्मरान का लक़ब उसको मिल गया
सर हिन्द का तो झुकता रहा उसके हाथ से
जालिम भी है , जाबिर भी है , यह "अय्यूब" ने कहा
है महफूज़ कोई भी न रहा उसके हाथ से .....
- (अय्यूब मेरा तखल्लुस है )
1 टिप्पणी:
अच्छा लिखा है
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